विजयी हुए सिंधिया ,
मध्यप्रदेश में सरकार का पतन आखिरकार आज कांग्रेस की सरकार का पतन हो ही गया।कमल नाथ ने ज्योतिरादित्य के समक्ष घुटने टेके।
मूल्यांकन किया जाए तो इसमें विजयी हुए हैं माधवराव सिंधिया के यशस्वी पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया। किंतु लाभ भाजपा को हुआ। यदि इस पूरे प्रकरण का बारीकी से मूल्यांकन किया जाए तो ज्योतिरादित्य ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को पटखनी दी है। वह पटखनी माधवराव जी भी अपने जीवन काल में इन दोनों दिग्गजों को ना दे पाए वह काम ज्योतिरादित्य ने कर दिखाया। क्योंकि ज्योतिरादित्य के राजनीतिक भविष्य को पूरी तरीके से समूल नष्ट करने में कांग्रेस की यह दोनों योद्धा पूरी तरीके से सजग के ही नहीं थे बल्कि इस दिशा में काम भी कर रहे थे।येन केन प्रकारेण कांग्रेस से राज्यसभा के अंदर ज्योतिरादित्य को पराजित कराना इनका एकमात्र लक्ष्य था। जिसे ज्योतिरादित्य समय से पहले ही भांप गए थे। ज्योतिरादित्य के जो मुख्य सलाहकार थे उन्होंने भाजपा से संपर्क किया और भाजपा ने नफे नुकसान का मूल्यांकन किया और पाया कि ज्योतिरादित्य को भाजपा में लेने से भाजपा की मध्यप्रदेश में शक्ति बढ़ेगी। ज्योतिरादित्य ग्वालियर ही नहीं बल्कि ग्वालियर संभाग में अपना एक जबरदस्त प्रभाव रखते हैं और ज्योतिरादित्य के साथ-साथ राजमाता विजयराजे सिंधिया का भी भाजपा एवं जनसंघ में की गई सेवाओं को भी ध्यान में रखा गया।
उसके बाद राजनीति की ऐसी कूटनीति हुई कि कूटनीतिक दांव पर भाजपा की कूटनीतिज्ञता भारी पड़ी ।
ज्योतिरादित्य ने दिखा दिया कि छलऔर बल कमल नाथ और दिग्विजय के पास ही नहीं है। इनका सफल प्रयोग कोई और भी जानता है।
यह दोनों योद्धा अपनी पारी खेल चुके हैं अब पारी खेलने के लिए इन दोनों के पुत्रों के सामने ज्योतिरादित्य कांटे की तरह चुभ रहे थे जिस कांटे को निकालने के लिए उन्होंने समय-समय पर कूटनीति वह चालें चली जिसको ज्योतिरादित्य ने एक झटके में ध्वस्त कर दिया।
अब समय बताएगा ज्योतिरादित्य ने जो मुकाम अब पाया है उसे कितने समय तक कायम रख सकते हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा का लिए ज्योतिरादित्य एक लाडले पुत्र की तरह रहेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है।
Article Posted by Shri Subhash Dhal
मध्यप्रदेश में सरकार का पतन आखिरकार आज कांग्रेस की सरकार का पतन हो ही गया।कमल नाथ ने ज्योतिरादित्य के समक्ष घुटने टेके।
मूल्यांकन किया जाए तो इसमें विजयी हुए हैं माधवराव सिंधिया के यशस्वी पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया। किंतु लाभ भाजपा को हुआ। यदि इस पूरे प्रकरण का बारीकी से मूल्यांकन किया जाए तो ज्योतिरादित्य ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को पटखनी दी है। वह पटखनी माधवराव जी भी अपने जीवन काल में इन दोनों दिग्गजों को ना दे पाए वह काम ज्योतिरादित्य ने कर दिखाया। क्योंकि ज्योतिरादित्य के राजनीतिक भविष्य को पूरी तरीके से समूल नष्ट करने में कांग्रेस की यह दोनों योद्धा पूरी तरीके से सजग के ही नहीं थे बल्कि इस दिशा में काम भी कर रहे थे।येन केन प्रकारेण कांग्रेस से राज्यसभा के अंदर ज्योतिरादित्य को पराजित कराना इनका एकमात्र लक्ष्य था। जिसे ज्योतिरादित्य समय से पहले ही भांप गए थे। ज्योतिरादित्य के जो मुख्य सलाहकार थे उन्होंने भाजपा से संपर्क किया और भाजपा ने नफे नुकसान का मूल्यांकन किया और पाया कि ज्योतिरादित्य को भाजपा में लेने से भाजपा की मध्यप्रदेश में शक्ति बढ़ेगी। ज्योतिरादित्य ग्वालियर ही नहीं बल्कि ग्वालियर संभाग में अपना एक जबरदस्त प्रभाव रखते हैं और ज्योतिरादित्य के साथ-साथ राजमाता विजयराजे सिंधिया का भी भाजपा एवं जनसंघ में की गई सेवाओं को भी ध्यान में रखा गया।
उसके बाद राजनीति की ऐसी कूटनीति हुई कि कूटनीतिक दांव पर भाजपा की कूटनीतिज्ञता भारी पड़ी ।
ज्योतिरादित्य ने दिखा दिया कि छलऔर बल कमल नाथ और दिग्विजय के पास ही नहीं है। इनका सफल प्रयोग कोई और भी जानता है।
यह दोनों योद्धा अपनी पारी खेल चुके हैं अब पारी खेलने के लिए इन दोनों के पुत्रों के सामने ज्योतिरादित्य कांटे की तरह चुभ रहे थे जिस कांटे को निकालने के लिए उन्होंने समय-समय पर कूटनीति वह चालें चली जिसको ज्योतिरादित्य ने एक झटके में ध्वस्त कर दिया।
अब समय बताएगा ज्योतिरादित्य ने जो मुकाम अब पाया है उसे कितने समय तक कायम रख सकते हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा का लिए ज्योतिरादित्य एक लाडले पुत्र की तरह रहेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है।
Article Posted by Shri Subhash Dhal
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