Friday, 20 March 2020

An interview with symbol of love @ Ptaa Hai...!!!

जीवन में विडंबना का भी एक संयोग है. यदि यह कहें कि सकारात्मकता के साथ नकारात्मकता का समावेश ही जीवन है तो अनुचित नहीं होगा. अगर पनघट की चहल-पहल है तो मरघट का सन्नाटा भी जीवन में देखने को मिलता है. इसी चिंतन के साथ आज ताजमहल से साक्षात्कार करने की प्रबल इच्छा हुई और पहुंच गया ताजमहल के पास. देश में फैले कोरोना के डर से आम लोग तो दूर प्रेमी जोड़े भी प्यार के प्रतीक ताजमहल के दीदार से परहेज कर रहे हैं. एक समय पर पर्यटकों से गुलजार रहने वाले ताजमहल के चारों ओर आज सन्नाटा पसरा हुआ था. मानो शमशान की शांति हो, बिल्कुल निर्जन स्थान. गहरे सन्नाटे को चीरता हुआ मैं ताज महल के पास पहुंचा. मुझे ऐसा लगा कि मानो वह मेरी बाट जोह रहा हो. मेरे नजदीक जाने पर उसने मुझे आदर पूर्वक स्थान ग्रहण कराया.
मैंने कहकहा लगाया और ताजमहल से सीधा सवाल दाग दिया. मैंने पूछा- क्या से क्या हो गया? कुछ कहना चाहोगे इस अवसर पर?
उदास ताजमहल ने मुझे देखा और उसके स्वर फूट पड़े, कहने लगा- कहकहा लगाकर तुमने भी अपने मन की भावना को उजागर कर ही दिया बिल्कुल भी नहीं चूके तुम. यह सब समय की बात है. आज तुम ही क्या, मेरा अकेलापन और मेरी परछाई भी मेरा उपहास बना रही है

मैंने फिर कहकहा लगाते हुए और व्यंग करते हुए पूछा- तुम ताजमहल हो.
उसने उत्तर दिया- हां मैं ताजमहल हूं. स्वर्णिम इतिहास है मेरा, जब से अस्तित्व में आया, मैंने अपने आपको प्रशंसकों से घिरा पाया. उम्र के बढ़ने के साथ प्रशंसकों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ. स्वाति नक्षत्र की पहली बूंद मेरे नसीब में थी तो रिमझिम सावन की ठंडी फुहार, होली का फाग, ईद की खुशी, दीपावली की रोशनी, शारदीय चंद्र की चांदनी कोई भी पर्व मेरे बिना अधूरा था. इस कायनात के हर समुदाय ने मुझे चाहा और एक ही शब्द कहा "अद्वितीय."
मेरी शान में कसीदे पढ़े गए, कई हुकूमतें आईं और चली गईं, मैं सबका साक्षी हूं. हजारों-हजारों बादशाहों, राजाओं और राष्ट्राध्यक्षों ने मेरा दीदार किया. मेरी प्रशंसा में गीत गाए गए. नृत्यांगनाओं ने मेरे समक्ष अलौकिक नृत्य पेश किए. संगीत कला और साहित्य का प्रदर्शन किया. करोड़ों-करोड़ों लोगों ने मेरा दीदार किया और एक ही शब्द सबके मुख से अपनी भाषा में निकला "वाह ताज"
यमुना भी मेरे चरणों को नमन करते हुए आगे बढ़ती है क्योंकि मैं ताजमहल हूं. पर मैं था अहंकारी, अपने अहंकार में कभी किसी की प्रशंसा के प्रति आभार व्यक्त करना तो दूर, उन्हें नजरअंदाज किया और अपनी दुनिया में खुद ही मस्त रहा कि मुझ सा कोई और नहीं है.
काश! मैंने अपने प्रशंसकों की भावनाओं का आदर किया होता? उनका सत्कार किया होता? उनसे भावानात्मक संबंध बनाया होता? तो आज जो कष्ट मैं सहन कर रहा हूं उस कष्ट को सहन करने की क्षमता मुझे मिलती. अहंकार और दंभ ने मेरा अस्तित्व ही पंगु कर दिया. तभी तो मैं, मेरा अकेलापन और मेरी परछाई भी मुझसे शिकवा कर रही है क्योंकि मैं ताजमहल हूं.
Article Posted By Shri Subhash Dhal

विजयी हुए सिंधिया

विजयी  हुए सिंधिया ,
मध्यप्रदेश में सरकार का पतन आखिरकार आज कांग्रेस की सरकार का पतन हो ही गया।कमल नाथ ने ज्योतिरादित्य के समक्ष घुटने टेके।
 मूल्यांकन किया जाए तो इसमें विजयी हुए हैं माधवराव सिंधिया के यशस्वी पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया। किंतु लाभ भाजपा को हुआ। यदि इस पूरे प्रकरण का बारीकी से मूल्यांकन किया जाए तो ज्योतिरादित्य ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को पटखनी दी है। वह पटखनी माधवराव जी भी अपने जीवन काल में इन दोनों दिग्गजों को ना दे पाए वह काम ज्योतिरादित्य ने कर दिखाया। क्योंकि ज्योतिरादित्य के राजनीतिक भविष्य को पूरी तरीके से समूल नष्ट करने में कांग्रेस की यह दोनों योद्धा पूरी तरीके से सजग के ही नहीं थे बल्कि इस दिशा में काम भी कर रहे थे।येन केन प्रकारेण कांग्रेस से राज्यसभा के अंदर ज्योतिरादित्य को पराजित कराना इनका एकमात्र लक्ष्य था। जिसे ज्योतिरादित्य समय से पहले ही भांप गए थे।  ज्योतिरादित्य के जो मुख्य सलाहकार थे उन्होंने भाजपा से संपर्क किया और भाजपा ने नफे नुकसान का मूल्यांकन किया और पाया कि ज्योतिरादित्य को भाजपा में लेने से भाजपा की मध्यप्रदेश में शक्ति बढ़ेगी। ज्योतिरादित्य ग्वालियर ही नहीं बल्कि ग्वालियर संभाग में अपना एक जबरदस्त प्रभाव रखते हैं और ज्योतिरादित्य के साथ-साथ राजमाता विजयराजे सिंधिया का भी भाजपा एवं जनसंघ में की गई सेवाओं को भी ध्यान में रखा गया।
 उसके बाद राजनीति की ऐसी कूटनीति  हुई कि कूटनीतिक दांव पर भाजपा की कूटनीतिज्ञता भारी पड़ी ।
ज्योतिरादित्य ने दिखा दिया कि छलऔर बल कमल नाथ और दिग्विजय  के पास ही नहीं है। इनका सफल प्रयोग कोई और भी जानता है।
यह दोनों योद्धा अपनी पारी खेल चुके हैं अब पारी खेलने के लिए इन दोनों के पुत्रों के सामने ज्योतिरादित्य कांटे की तरह चुभ रहे थे जिस कांटे को निकालने के लिए उन्होंने समय-समय पर कूटनीति वह चालें चली जिसको ज्योतिरादित्य ने एक झटके में ध्वस्त कर दिया।
अब समय बताएगा ज्योतिरादित्य ने जो मुकाम अब पाया है उसे कितने समय तक कायम रख सकते हैं। जहां तक भाजपा का सवाल है तो भाजपा का लिए ज्योतिरादित्य एक लाडले पुत्र की तरह रहेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है।

Article Posted by Shri Subhash Dhal

Mushrooms,, the Organic Vegetable @ Ptaa Hai...!!!

Mushrooms,,  the Organic Vegetable @ Ptaa Hai...!!! Mushrooms have part of food of humans for years, its importance is much more realized...